Friday, June 27, 2025

10,500 साल पहले जीवित महिला का चेहरा हुआ पुनर्निर्मित, यूरोपीय शिकारी-संग्राहकों की आनुवंशिक समानता पर उठे सवा

 

युद्ध की उत्पत्ति | मानव प्रकृति

वैज्ञानिकों ने बेल्जियम में 10,500 साल पहले जीवित एक महिला के चेहरे का पुनर्निर्माण किया है, जिसकी मदद प्राचीन डीएनए विश्लेषण से की गई। यह अध्ययन अब तक माने जा रहे इस विचार को चुनौती देता है कि मेसोलिथिक काल के यूरोपीय शिकारी-संग्राहक आनुवंशिक रूप से एक जैसे थे।

यह महिला आज के बेल्जियम के दिनांत (Dinant) क्षेत्र में स्थित Margaux गुफा में मिली थी, जहाँ 1980 के दशक में खुदाई के दौरान आठ अन्य महिलाओं के कंकाल भी पाए गए थे।

घेंट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस महिला के अवशेषों से डीएनए निकाला और अत्याधुनिक आनुवंशिक तकनीकों और पुरातात्विक अनुसंधान की मदद से उसकी त्वचा का रंग, आँखों की नीली चमक, और चेहरे की बनावट को फिर से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।

इस चेहरे के पुनर्निर्माण से यह संकेत मिलता है कि उस दौर के यूरोपीय लोग रंग-रूप और आनुवंशिकी के लिहाज से कहीं अधिक विविध थे, जितना अब तक समझा गया था।

अगले चुनाव से पहले चुनाव आयोग को महाराष्ट्र चुनावों पर उठे सवालों का जवाब देना चाहिए

 

EC has compromised Rahul Gandhi raised issue of Maharashtra chunav at Brown  University in us -'EC ने समझौता कर लिया है…', राहुल गांधी ने अमेरिका की  ब्राउन यूनिवर्सिटी में उठाया ...

भारत में लोकतंत्र की ताकत सिर्फ मतदान करने में नहीं, बल्कि उस अटूट विश्वास में है कि हर मत निष्पक्ष रूप से गिना जाएगा। लेकिन आज वही विश्वास डगमगाता नज़र आ रहा है।

महाराष्ट्र में हाल ही में हुए चुनावों को लेकर मतदाता सूची में बिना सूचना के नाम हटाए जाने, ईवीएम की पारदर्शिता, और मतगणना प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों पर कई सवाल उठे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर देश की जनता का भरोसा कमजोर हो रहा है।

लेख में पूछा गया है कि क्या चुनाव आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि मतदाता सूची से कोई नाम बिना जांच के न हटाया जाए? क्या यह स्पष्ट किया जा रहा है कि नए मतदाता कैसे जोड़े जा रहे हैं? और क्या केंद्रीय चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति में पारदर्शिता है?

चुनाव आयोग को चाहिए कि वह हर वोटर को यह भरोसा दिलाए कि उनका नाम सूची में रहेगा, उनका मत सुरक्षित रहेगा, और चुनाव निष्पक्ष होंगे। वरना, लोकतंत्र की नींव कमजोर हो सकती है।

कश्मीर से बड़ी संख्या में छात्र ईरान में पढ़ाई क्यों करते हैं?

 

ईरान में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स वहां क्या पढ़ने जाते हैं? - BBC News हिंदी

ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है — आख़िर क्यों इतने भारतीय छात्र, खासकर कश्मीरी, मेडिकल पढ़ाई के लिए विदेश, और विशेष रूप से ईरान जाते हैं?

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, 2022 में लगभग 2,050 भारतीय छात्र ईरान में पढ़ रहे थे, जिनमें से ज़्यादातर मेडिकल कॉलेजों में दाखिल थे, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी। इन छात्रों में कश्मीरी छात्रों की संख्या विशेष रूप से अधिक है।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संकट ने विदेश में भारतीय मेडिकल छात्रों की बड़ी संख्या को उजागर किया है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' के तहत हज़ारों छात्रों को निकाला था।

ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए इसलिए भी आकर्षक है क्योंकि वहाँ पढ़ाई की फीस कम होती हैभाषा और संस्कृति से कुछ हद तक समानता है, और शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक जुड़ाव की भावना भी महत्वपूर्ण कारण बनती है।

Tuesday, June 24, 2025

ईरान-इज़राइल संघर्ष पर बोले पुतिन: “इज़राइल लगभग एक रूसी-भाषी देश बन गया है

 

इजराइल और ईरान में हवाई हमलों की लहर, गोलीबारी दूसरी रात भी जारी

ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि इज़राइल में बड़ी संख्या में रूसी-भाषी लोग रहते हैं, जिससे रूस की नीति और दृष्टिकोण प्रभावित होता है।

अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले के बाद, पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (SPIEF) में बोलते हुए कहा कि रूस अपने सहयोगियों के साथ खड़ा है और जो लोग रूस की नीयत पर सवाल उठाते हैं वे “उकसाने वाले” हैं।

पुतिन ने यह भी बताया कि रूस के अरब और इस्लामी दुनिया के साथ पारंपरिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पुतिन ने ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष रोकने के लिए एक शांति समझौते की पेशकश की थी, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अस्वीकार कर दिया

Wednesday, June 18, 2025

डेओनार कचरा मैदान की सफाई के लिए बीएमसी ने ₹2,368 करोड़ का टेंडर निकाला

 dharavi deonar dump yard clean work 2368 crore rupee expenditure Mumbai  municipal corporation देवनार कचराभूमी 'साफ' करण्यासाठी २३६८ कोटींचा खर्च;  महापालिकेकडून निविदा ...

धरावी पुनर्विकास परियोजना से पहले बीएमसी ने डेओनार कचरा मैदान की सफाई के लिए ₹2,368 करोड़ का टेंडर जारी किया है। इस टेंडर का उद्देश्य 1.85 करोड़ टन कचरे की बायोरिमीडिएशन करके 110 हेक्टेयर भूमि को पुनः प्राप्त करना है। यह कार्य स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि यह सफाई कार्य धरावी पुनर्विकास परियोजना के तहत अदानी समूह को लाभ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है।

Saturday, June 14, 2025

कश्मीर से बड़ी संख्या में छात्र ईरान में पढ़ाई क्यों करते हैं?

 हमें घर पहुंचना है, लेकिन इस बस से... ईरान से लौटे कश्मीरी छात्र हुए नाराज,  सीएम उमर अब्दुल्ला ने दिया ये जवाब | students returned from Iran become  angry Read the story


ईरान-इज़राइल संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाला। इससे एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है — आख़िर क्यों इतने भारतीय छात्र, खासकर कश्मीरी, मेडिकल पढ़ाई के लिए विदेश, और विशेष रूप से ईरान जाते हैं?

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, 2022 में लगभग 2,050 भारतीय छात्र ईरान में पढ़ रहे थे, जिनमें से ज़्यादातर मेडिकल कॉलेजों में दाखिल थे, जैसे तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी, और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी। इन छात्रों में कश्मीरी छात्रों की संख्या विशेष रूप से अधिक है।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी अंतरराष्ट्रीय संकट ने विदेश में भारतीय मेडिकल छात्रों की बड़ी संख्या को उजागर किया है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने 'ऑपरेशन गंगा' के तहत हज़ारों छात्रों को निकाला था।

ईरान कश्मीरी छात्रों के लिए इसलिए भी आकर्षक है क्योंकि वहाँ पढ़ाई की फीस कम होती हैभाषा और संस्कृति से कुछ हद तक समानता है, और शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक जुड़ाव की भावना भी महत्वपूर्ण कारण बनती है।

Thursday, June 12, 2025

आत्मनिर्भर रक्षा का नवयुग: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों की गौरवशाली यात्रा – राधा मोहन सिंह

 आत्मनिर्भर रक्षा का नवयुग: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों की गौरवशाली यात्रा – राधा मोहन सिंह

दिल्ली :  सांसद, रक्षा मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की रक्षा नीति में जो क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की देन है। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न अब रक्षा क्षेत्र में साकार होता दिखाई दे रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 में जब श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब भारत विश्व का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था। हमारी सेनाएँ आधुनिक तो थीं, परंतु अनेक महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियाँ और उपकरण विदेशों से आयातित होते थे। आज स्थिति यह है कि भारत 85 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, और तेजस लड़ाकू विमान, INS विक्रांत, आकाश मिसाइल प्रणाली और ATAGS जैसी स्वदेशी प्रणालियाँ हमारी रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने “मेक इन इंडिया” को केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक मिशन बनाया। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर का निर्माण, FDI की सीमा में वृद्धि, निजी क्षेत्र की भागीदारी और रक्षा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन—इन सभी प्रयासों से रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
‘पॉजिटिव इंडीजेनाइजेशन लिस्ट’ के अंतर्गत अब तक 500 से अधिक वस्तुएँ चिन्हित की जा चुकी हैं जिन्हें केवल घरेलू स्रोतों से खरीदा जाएगा। यह न केवल देश की आर्थिक समृद्धि का मार्ग है, बल्कि सामरिक आत्मनिर्भरता का आधार भी है।
इस सबके बीच, भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक—INS विक्रांत—देश की पहली स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, भारत के सामर्थ्य का प्रमाण है। यह केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की क्षमता और संकल्प का उदाहरण है।
साथ ही, मैं इस अवसर पर ऑपरेशन सिन्दूर को सफलतापूर्वक संपन्न करने वाले हमारे वीर सैनिकों को हृदय से धन्यवाद देता हूँ। यह ऑपरेशन हमारी सेना, नौसेना और वायुसेना के अद्वितीय समन्वय, युद्ध कौशल और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का प्रतीक है। यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि हमारी सेनाएँ अब किसी भी चुनौती का सामना करने में पूर्णतः सक्षम हैं—वह भी स्वदेशी तकनीकों और संसाधनों के साथ।
ऑपरेशन सिन्दूर में हमारे सैनिकों ने जिस समर्पण, धैर्य और दक्षता का परिचय दिया, उस पर देश को गर्व है। मैं रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में, और एक देशवासी के रूप में, तीनों सेनाओं के हर जवान को कोटि-कोटि नमन करता हूँ।
आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों, संचार प्रणालियों और रणनीतिक सहायता से सुसज्जित हैं। सीमाओं पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, त्वरित आपूर्ति श्रृंखला और सामरिक तैयारियों ने हमारी सेनाओं की युद्ध शक्ति को कई गुना बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सेना का मनोबल पहले से कहीं अधिक ऊँचा हुआ है।
भारत अब केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने वाला राष्ट्र नहीं है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” के रूप में उभर रहा है। आत्मनिर्भरता पर आधारित सामरिक स्वतंत्रता की हमारी नीति को वैश्विक मान्यता मिल रही है।
राधा मोहन सिंह अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा कि इन 11 वर्षों की यात्रा को देखते हुए हम कह सकते हैं कि भारत अब रक्षा निर्माण में न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि आने वाले समय में विश्व के प्रमुख रक्षा निर्यातकों में शामिल होने की ओर भी अग्रसर है।
अंत में, मैं एक बार पुनः ऑपरेशन सिन्दूर में भाग लेने वाले सभी सैनिकों को, और पूरे सशस्त्र बलों को नमन करता हूँ। आप सभी के परिश्रम, त्याग और शौर्य से भारत गौरवान्वित है। आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि आत्मनिर्भर भारत के इस मार्ग को और भी दृढ़ता आगे बढ़ाएँगे
मोदी सरकार में भारतीय रेलवे ने रचा नया इतिहास: राधा मोहन सिंह
संसदीय रक्षा समिति के अध्यक्ष, वरिष्ठ सांसद और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भारतीय रेल के पिछले एक दशक में हुए ऐतिहासिक परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे ने आत्मनिर्भरता, नवाचार और समावेशी विकास का प्रतीक बनकर उभरने का कार्य किया है।
“भारतीय रेल अब सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि नए भारत की पहचान बन गई है — जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा, सामाजिक समरसता और हरित विकास का प्रतीक है,” श्री सिंह ने कहा।
 
उन्होंने निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया:
* रेलवे लाइनों का तेज़ी से विद्युतीकरण, जिससे ऊर्जा दक्षता और पर्यावरणीय अनुकूलता में सुधार
* समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और यात्री मार्गों में भीड़ घटाई गई
* कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में नई रेल लाइनों का निर्माण
* वंदे भारत एक्सप्रेस — भारत की पहली अर्ध-तेज गति की स्वदेशी ट्रेन, जिसने विश्वस्तरीय यात्रा अनुभव प्रदान किया
* अमृत भारत योजना के अंतर्गत 1,300+ स्टेशनों का कायाकल्प — आधुनिक प्रतीक्षालय, एस्केलेटर, स्वच्छ शौचालय आदि सुविधाएं
* कोचों में जैव-शौचालयों की शुरुआत — स्वच्छ भारत मिशन को प्रोत्साहन
* सुरक्षा क्षेत्र में प्रगति — सभी अनियंत्रित लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन, ‘कवच’ जैसी स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली का उपयोग, सीसीटीवी और गश्त में वृद्धि
* रेलवे के लिए ₹2.5 लाख करोड़ से अधिक का पूंजीगत व्यय, जो नए कॉरिडोर, रोलिंग स्टॉक उन्नयन, सुरक्षा और अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समर्पित है
श्री सिंह ने कहा कि इन प्रयासों के पीछे विकसित भारत@2047 के लक्ष्य को मूर्त रूप देने की व्यापक दृष्टि है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आगे की चुनौतियाँ भी महत्वपूर्ण हैं — जैसे कि दूरस्थ क्षेत्रों तक अंतिम मील संपर्क, निरंतर आधुनिकीकरण, पर्यावरणीय संतुलन, और सभी वर्गों के यात्रियों को श्रेष्ठ अनुभव देना। लेकिन उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नीति निर्माताओं, रेलवे कर्मियों और देशवासियों के सामूहिक प्रयास से भारतीय रेल इन चुनौतियों को पार कर सकती है।
“हम सिर्फ पुल और पटरियाँ नहीं बना रहे, हम भारत के नए भविष्य की नींव रख रहे हैं,” श्री सिंह ने कहा।हा।

10,500 साल पहले जीवित महिला का चेहरा हुआ पुनर्निर्मित, यूरोपीय शिकारी-संग्राहकों की आनुवंशिक समानता पर उठे सवा

  वैज्ञानिकों ने बेल्जियम में 10,500 साल पहले जीवित एक महिला के चेहरे का पुनर्निर्माण किया है, जिसकी मदद प्राचीन डीएनए विश्लेषण से की गई। यह...