भारत में लोकतंत्र की ताकत सिर्फ मतदान करने में नहीं, बल्कि उस अटूट विश्वास में है कि हर मत निष्पक्ष रूप से गिना जाएगा। लेकिन आज वही विश्वास डगमगाता नज़र आ रहा है।
महाराष्ट्र में हाल ही में हुए चुनावों को लेकर मतदाता सूची में बिना सूचना के नाम हटाए जाने, ईवीएम की पारदर्शिता, और मतगणना प्रक्रिया में कथित गड़बड़ियों पर कई सवाल उठे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर देश की जनता का भरोसा कमजोर हो रहा है।
लेख में पूछा गया है कि क्या चुनाव आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि मतदाता सूची से कोई नाम बिना जांच के न हटाया जाए? क्या यह स्पष्ट किया जा रहा है कि नए मतदाता कैसे जोड़े जा रहे हैं? और क्या केंद्रीय चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति में पारदर्शिता है?
चुनाव आयोग को चाहिए कि वह हर वोटर को यह भरोसा दिलाए कि उनका नाम सूची में रहेगा, उनका मत सुरक्षित रहेगा, और चुनाव निष्पक्ष होंगे। वरना, लोकतंत्र की नींव कमजोर हो सकती है।